सामान्य रूप से घटने वाली समस्याएं समाचार है। यहाँ हमारा इरादा उन समाचारों से है जिनका किसी न किसी रूप में सार्वजनिक महत्त्व होता है। समाचार ऐसी सम-सामायिक घटनाओं, समस्याओं और विचारों पर आधारित है जिन्हें जानने की अधिक से अधिक लोगों में दिलचस्पी होती है और जिनका ज्यादा से ज्यादा लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ता हैं।
साधारण रूप से मित्रों, रिश्तेदारों और सहकर्मियों की कुशल-क्षेम और हालचाल का आदान-प्रदान समाचार माध्यमों के लिए समाचार नहीं है, क्योंकि आपसी कुशल-क्षेम हमारा व्यक्तिगत मामला है इसलिए इसमें हमारे नजदीकी लोगों के अलावा अन्य किसी को उसमें दिलचस्पी नहीं हो सकती. इसलिए इसका सावर्जनिक महत्त्व नहीं हो सकता हैं।
इसलिए इसे समाचार नहीं कहा जा सकता है। न्यूज़ का अपना महत्त्व होता है। यह महत्त्व निर्धारण पत्र सम्पादक के ऊपर निर्भर करता है इसीलिए एक अख़बार में एक समाचर मुख्य समाचर (मुख्य कहानी) हो सकता है और वही खबर अन्य खबर पत्र में भीतर के पेजेज पर कहीं एक कॉलम का समाचार हो सकता हैं।
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सामान्य रूप से समाचर किसी भी ऐसी ताजा घटना, विचार या समस्या की रिपोर्ट है जिसमें अधिक से अधिक लोगों की रुचि हो और जिसका ज्यादा से ज्यादा लोगों पर प्रभाव पड़ रहा है।
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समाचार के कौन कौनसे प्रमुख तत्व होते है
प्रेरक और उत्तेजित करने वाली हर घटना समाचार कहलाती है। जब किसी घटना, विचार और समस्या से जब समाज के बड़े तबके का सरोकार हो तब हम कह सकते है वह खबर बनने योग्य है लेकिन किसी घटना, विचार और समस्या के समाचार बनने की सम्भावना तब बढ़ जाती है जब उसमें यहाँ बताये गये तत्व शामिल हों।
1. नवीनता
कोई भी घटना जितनी न्यू होती है इसलिए वो news बनती है। मतलब घटना जितनी नवीन यानि तत्काल, हाल ही में घटित होती है, उसके समाचर बनने की उतनी ही ज्यादा सम्भावना बढ़ जाती है। कहने का मतलब ये है की समाचार वही है जो ताजा घटना के बारे में जानकारी देता है इसलिए किसी भी समाचार के लिए नवीनता उसका पहला तत्व हैं।
2. निकटता
हर समाचार महत्त्व काफी हद तक उसकी स्थानीयता से होता है, क्योंकि पाठक उस समाचार को पढ़ने में विशेष रुचि दिखाते है जो उनके पास का होता है। यही कारण है की पाठक अपने शहर और अपने आसपास के क्षेत्रों के अलावा अपने राज्य और देश के अन्दर क्या हुआ, यह जानने को विशेष रूप से उत्सुक रहते है। इतना ही नहीं, सांस्कृतिक निकटता के कारण विदेशों में बैठे पाठक भारतियों से जुड़ी घटनाओं को भी जानना चाहते हैं।
3. प्रभाव
जब किसी घटना के प्रभाव से उसका समाचारिय महत्त्व निर्धारित होता है। घटित घटना की तीव्रता का अंदाज इस बात से लगाया जाता है की उससे कितने सारे लोग परभावित हो रहे है या फिर कितने बड़े भू-भाग पर इसका असर हो रहा है। इससे उसके समाचार बनने के चांस उतने ही ज्यादा बढ़ जाते है जैसे सरकार के किसी निर्णय से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या 100 के करीब है तो वह उतना बड़ा समाचार नहीं है, जितना की उससे लाभान्वित होने वाले लोगों की संख्या अगर एक लाख हो।
4. जन रुचि
किसी घटना या समस्या के समाचार बनने के लिए यह भी जरुरी है की लोगों की उसमें दिलचस्पी हो। जब पाठकों का एक बड़ा तबका उसके बारे में जानने में रुचि रखता हो तो वह घटना या समस्या एक महत्त्वपूर्ण रूप में समाचार बन जाती हैं।
5. संघर्ष या टकराव
किसी घटना में संघर्ष या टकराव का पहलू होने पर उसके समाचर के रूप में चयन की सम्भावना बढ़ जाती है, क्योंकि लोगों के मन में संघर्ष या टकराव के बारे में जानने की स्वाभाविक दिलचस्पी होती है। इसकी वजह यह है की संघर्ष और टकराव का उनके जीवन पर सीधा असर पड़ता हैं।
6. महत्त्वपूर्ण लोग
मशहूर और जाने-मने लोगों के बारे में जानने की आम पाठकों में स्वाभाविक इच्छा होती है। कई बार किसी घटना से जुड़े लोग के महत्वपूर्ण होने के कारण भी उसका समाचारिय महत्त्व बढ़ जाता है। जैसे प्रधानमंत्री को जुकाम भी हो जाए तो यह अपने आप में एक खास खबर होती है।
7. अनोखापन
अनहोनी घटनाएँ समाचार होती है क्योंकि लोग उनके बारे में जानना चाहते है। उदाहरण के लिए किसी विचित्र बच्चे के पैदा होने की घटना एक अच्छा समाचार बन जाता हैं।
8. उपयोगी जानकारी
बहुत सी ऐसी सूचनाएं भी समाचार मानी जाती है जिनका समाज के किसी विशेष तबके के लिए खास महत्त्व हो सकता है। जैसे स्कूल कब खुलेंगे, किसी खास कालोनी में बिजली कब तक बंद रहेगी आदि। ऐसी सूचनाओं का समाचार के रूप में हमारे रोजमर्रा के जीवन में काफी उपयोग होता है इसलिए उन्हें जानने में पाठक वर्ग की सहज दिलचस्पी होती हैं।
9. पाठक वर्ग
पाठक वर्ग ही तो किसी भी खबर के महत्त्व-अमहत्त्व का निर्धारण करता है। इसलिए समाचार के संगठन ख़बरों का चुनाव करते समय अपने पाठक वर्ग की रुचियों और जरूरतों का विशेष ध्यान रखते हैं।
10. नीतिगत ढांचा
अलग-अलग समाचार संगठनों की खबर के चयन और प्रस्तुति को लेकर एक निति होती है। इस निति का निर्धारण सम्पादक या newspaper का मालिक होता हैं।
News papers में प्रकाशित होने वाली प्रत्येक खबर या वैचारिक मंथन करने वाले विशिष्ट लेख तथा अग्रलेख फीचर, कहानी आदि में शीर्षक (title) होना जरुरी होता है। इस प्रकार समाचारों के शीर्षक खबर के सार-तत्व को इंगित करते हैं जिसे पढ़कर पाठक शीघ्र ही यह समझ लेता है की अमुक खबर का विवरण क्या हो सकता हैं और इस खबर का संबंद किस घटना या स्तिथि से हो सकता हैं।
इस प्रकार समाचार पत्र की मुख्य खबर जो पहले पेज पर प्रकाशित की जाती है के शीर्षक को पाठक को आकर्षित करने जैसा बनाते है क्योंकि किसी भी खबर या जैसे इस पोस्ट में शीर्षक का सबसे अधिक महत्त्व होता हैं।
अगर आपकी कोई न्यूज़ साईट है तो ये जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हो सकती है क्योंकि यदि आप किसी भी घटना या समस्या को इस प्रकार अपनी न्यूज़ साईट पर प्रकाशित करेंगे तो आप किसी भी घटना, सूचना या समस्या को एक ताजा और मशहूर समाचार बना सकते हैं जिससे उसे ज्यादा पाठक पढ़ना पसंद करेंगे।
अब आपको पता चल गया होगा की समाचार क्या होता है और इसके प्रमुख तत्व कौन कौनसे होते है साथ में आपको ये भी समझ आ गया होगा की समाचार लिखते समय किन-किन तत्वों को ध्यान में रखना चाहिए। यदि आपको ये जानकारी पसंद आये तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ साझा करें।
bahut hi inspirational and informative article share kiya hai apne. thanks