कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी क्या होती है?

Corporate Social Responsibility क्या है? कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी की हिंदी जानकारी: इस पोस्ट में हम आपको नैगमिक सामाजिक उत्तरदायित्व किसे कहते हैं और भारत में इस पर कितना खर्च होता है? की पूरी जानकारी देने जा रहे हैं। अगर आपने इसके बारे में पहली बार सुना है तो यह पोस्ट आपके लिए बहुत ही इंटरेस्टिंग होने वाला है। बस आप पोस्ट को ध्यान लगा कर बढ़ते जाइए। तो चलिए जानते हैं, What is Corporate Social Responsibility (CSR) in Hindi.

कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी क्या है

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कंपनियां किसी उत्पाद को बनाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करते हैं, प्रदूषण को बढ़ावा देती है और अपनी अपनी जेबें भरती है।

विभिन्न प्रकार की कंपनी और कारखानों की वजह से पैदा होने वाले प्रदूषण का नुकसान समाज में रहने वाले विभिन्न लोगों को उठाना पड़ता है।

इन्हीं सब कारणों की वजह से कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व की शुरुआत हुई। चलिए अब मैं आपको विस्तार से बताता हूं कि कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी क्या होती है?

Corporate Social Responsibility क्या होती है?

कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (Corporate Social Responsibility या "CSR") एक प्रकार का अंतरराष्ट्रीय निजी व्यवसाय है जो स्व-नियमन है।

इन कंपनियों की उत्पादक गतिविधियों के कारण खराब प्रदूषण की वजह से समाज में रहने वाले लोगों को नुकसान उठाना पड़ता है। उन्हें इन के कारण खराब पानी और हवा का इस्तेमाल करना पड़ता है।

इससे कंपनी और कारखानों के आसपास के लोगों को कई प्रकार की बीमारियों और कई अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन कंपनियां इसके लिए कुछ भी नहीं करती हैं।

इसीलिए भारत सहित पूरे विश्व में कंपनियों के लिए यह अनिवार्य बना दिया गया है कि वह अपनी कमाई का कुछ भाग उन लोगों के कल्याण पर लगाए जिनके कारण उन्हें सुविधा हुई है।

इसे ही कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी कहते हैं। इसे ही कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी कहा जाता है।

कंपनियां ऐसे व्यापारिक मॉडल के अनुसार काम करती हैं, जो कानून, नैतिक मानकों एवं अंतरराष्ट्रीय नीति के अनुकूल हो।

इसके अंतर्गत कंपनियों द्वारा कुछ ऐसे कार्य किए जाते हैं जो पर्यावरण, आम जनता, उपभोक्ता, कर्मचारी और सभी पर सकारात्मक प्रभाव डालें।

भारत में C.S.R. के दायरे में कौन-कौन आता है?

भारत में कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate Social Responsibility, CSR) के नियम 1 अप्रैल 2014 को लागू हुए थे।

भारत सीएसआर के नियमों के अनुसार जिन कंपनियों की सालाना सालाना नेटवर्थ 500 करोड़ रुपए या सालाना आय 1000 करोड रुपए की या सालाना लाभ 5 करोड़ का हो।

निम्न कंपनियों को सीएसआर पर खर्च करना पड़ता है, जिनकी

  • सालाना सालाना नेटवर्थ 500 करोड़ रुपए हो।
  • सालाना आमदनी 1000 करोड रुपए हो।
  • और सारा नाला 5 करोड रुपए हो।

ऐसी कंपनियों का CSR पर खर्च करना जरूरी होता है। साथ ही यह खर्च कंपनियों के 3 साल के औसत लाभ का कम से कम 2% होना चाहिए।

CSR नियमों के अनुसार, सीएसआर के प्रावधान केवल भारतीय कंपनियों पर ही लागू नहीं होते है, बल्कि ये भारत में विदेशी कंपनियों, विदेशी कंपनियों की शाखा और विदेशी कंपनियों के परियोजना कार्यालय के लिए भी लागू होते हैं।

भारत में CSR पर कितना खर्च होता है?

मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2023-16 में सीएसआर गतिविधियों में 9822 करोड रुपए खर्च किए गए थे। यह पिछले वर्ष की तुलना में 11.5% ज्यादा था।

साल 2023-16 की रिपोर्ट में 5097 कंपनियां शामिल है। जिसमें से सिर्फ 2690 कंपनियों ने CSR पर खर्च किया था। मैसेज शीर्ष 10 कंपनियों ने 3207 करोड रुपए खर्च किए जो की कुल खर्च का 33% है।

शीर्ष 10 कंपनियां निम्न है।

  1. RELIANCE INDUSTRIES: 760.6 करोड़
  2. ONGC: 495.2 करोड़
  3. INFOSYS: 239.5 करोड़
  4. TCS: 219 करोड़
  5. ITC: 214.1 करोड़
  6. MTPC: 205.2 करोड़
  7. MMDC: 188.7 करोड़
  8. TATA STEEL: 171.5 करोड़
  9. OIL INDIA: 133.3 करोड़
  10. WIPRO: 132.7 करोड़

आंकड़ों से साफ है कि भारत में CSR पर रिलायंस इंडस्ट्री सबसे ज्यादा खर्च करती है।

किस क्षेत्र में कितना खर्च हुआ है?

  1. स्वास्थ्य एवं चिकित्सा: 3117 करोड रुपए
  2. शिक्षा: 3073 करोड रुपए
  3. ग्रामीण विकास: 1051 करोड रुपए
  4. पर्यावरण: 923 करोड रुपए
  5. स्वच्छ भारत कोष: 355 करोड़ रुपए

हाल ही में किए गए एक सर्वे के मुताबिक वर्ष 2023 में भारत की 99% कंपनियों ने सीएसआर नियमों का पालन किया है।

सीएसआर में क्या-क्या गतिविधि की जाती है?

कॉरपोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी के अंतर्गत कंपनियों को उन गतिविधियों में हिस्सा लेना पड़ता है, जो समाज के पिछड़े या वंचित वर्ग के लोगों के कल्याण के लिए जरूरी हो।

उदाहरण के लिए,

  1. भूख, गरीबी और कुपोषण को खत्म करना।
  2. मातृ एवं शिशु का स्वास्थ्य सुधारना।
  3. शिक्षा को बढ़ावा देना।
  4. स्कूलों में शौचालय का निर्माण करना।
  5. पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना।
  6. खेल गतिविधियों को बढ़ावा देना।
  7. सशस्त्र बलों के लाभ के लिए उपाय।
  8. राष्ट्रीय विरासत का संरक्षण।
  9. स्लम क्षेत्र का विकास करना।
  10. प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय राहत में योगदान करना।

इनके अलावा और भी कई तरीके हैं, जिनमें खर्च करके लोगों की मदद और पर्यावरण प्रदूषण को कम करने की कोशिश की जाती है।

निष्कर्ष,

अगर देखा जाए तो कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत खर्च करने में कंपनियों का ही फायदा है। जो कंपनी जितना ज्यादा सीएसआर पर खर्च करती है, लोगों की नजर में उसकी उतनी ही बेहतर इमेज बनती है।

इसे उस कंपनी के प्रोडक्ट ज्यादा बिकते हैं, जनता को ज्यादा पसंद करती है। यह दोनों हाथों में लड्डू होना जैसा है। यानी की आम के आम गुठलियों के दाम।

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by: Jumedeen Khan

मैं इस ब्लॉग का संस्थापक और एक पेशेवर ब्लॉगर हूं। यहाँ पर मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी और मददगार जानकारी शेयर करता हूं। ❤️

2 Comments

Comments ( 2 )

  1. Narendera Bahadur Bhatnagar

    It will be a good।initiative.

    Reply
  2. Suresh

    दलितऔर पिछड़ी जातिके लोगों के सुधार के लिए. क्या c.s.r.fund. का इस्तेमाल किया जा सकताहै .

    Reply

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