कामयाब होने के लिए हम क्या क्या नहीं करते, हर वो तरीका अपनाते है जो हमे पता होता है लेकिन ये तरीका कामयाबी पाने का नहीं परिस्तिथि के पीछे भागना है। दरअसल हम खुद को पहचानते नहीं है और दूसरों के पीछे भागते है कामयाब बनना चाहते है तो खुद को भूलकर दूसरों की होड़ ना करें बल्कि अपने ज्ञान को बढ़ाने की कोशिश करें।
हमारी मंजिल हमारे आसपास होती है बस हममे उसे पाने और पहचानने की शक्ति होनी चाहिए, इसलिए अगर जीवन में कामयाब होना है तो लोगों के पीछे भागने, दूसरों की सफलता से जलने और दूसरों को नुकसान पहुँचाने से अच्छा है अपनी मंजिल तक जाने वाला रास्ता खोजने में लग जाओ।
अगर आप जीवन में सफल होना चाहते है तो इस पोस्ट में बताई बातें ध्यान से पढ़ें और अभी से अपनी जिंदगी बदलने की ठान लें, मैं वादा करता हु आपको एक दिन कामयाबी जरुर मिलेगी।
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कामयाब बनने का आसान तरीका
बहुत से लोग अपनी मंजिल के बजाय दूसरें लोगों की सफलता से जलते है और उन्हें नुकसान पहुँचाने की कोशिश करते है और अपना सारा समय दूसरों के बारे में सोचने में खराब कर देते है, ऐसा करने से वो अपनी मंजिल से बहुत दूर चले जाते है।
अंत में वो खुद पर गुस्सा करते है और सोचते है की “मैं कुछ नहीं कर सकता” दरअसल जब हम खुद को भूल जाते है तो हम हर काम में अति करने लगते है नतीजन हमे जो थोडा बहुत ज्ञान होता है वो भी कम हो जाता है और आखिर में हम फैल होने का सामना करना पड़ता है।
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यहां मैं आपको एक छोटी सी कहानी सुनाने वाला हु शायद इसे पढ़ कर आप आसानी से समझ जाओगे की जीवन में कामयाब होने के लिए कौनसा तरीका अच्छा है और आपको किस रास्ते पर चलना चाहिए।
स्वामी विवेकानंद की कहानी
एक बार स्वामी विवेकानंद के पास एक लड़का आया जिसकी उम्र 24 से 25 साल थी वो बहुत दुखी लग रहा था उसके चेहरे पर उदासी छायी हुई थी ऐसा लग रहा था जैसे उसे कोई बहुत बड़ी बीमारी है वो स्वामी विवेकानंद के पास आ कर स्वामी जी के पैरो में गिर कर मदद की भीख मांगने लगा।
स्वामी विवेकानंद ने उसे उठाया और उससे पूछा की बेटा ऐसा क्या हुआ जो तुम इतने उदास हो तुमे क्या परेशानी है। लड़के ने हाथ जोड़ कर कहा की स्वामी में अपनी जिंदगी से बहुत दुखी हु मैं जो भी काम करता हु उसमे असफल हो जाता हु मुझे किसी काम में आसानी नहीं होती पता नहीं ईश्वर ने मेरे नसीब में क्या लिखा है मैं मेहनत भी बहुत करता हु।
यहां तक की मैं 12 क्लास तक पढ़ा हु और सब कुछ जानता हु पर कभी कामयाब नहीं बन सका, अब मैं बिलकुल हार गया हु अब आप ही मुझे जिंदगी में कामयाब बनने का कोई उपाय बताए मुझे कोई ऐसा तरीका बताए जिससे मैं अपनी मंजिल तक पहुँच सकू।
स्वामी विवेकानंद बोले, बेटा मैं तुम्हारें सवाल का जवाब दूंगा पर उससे पहले तुमे मेरा एक काम करना होगा उस लड़के ने कहा स्वामी जी मैं आपका कोई भी काम करूँगा बस आप मेरी मदद कर दें जिससे में सफल आदमी बन सकू।
स्वामी विवेकानंद ने उस लड़के से कहा ठीक है तुम मेरे कुत्तें को दुसरे गांव तक घुमा कर ले आओ तब तक मैं अपना काम पूरा कर लूँगा और फिर आपके सवाल का जवाब दूंगा। लड़का कुत्तें को लेकर दुसरे गांव की तरफ चला गया और स्वामी विवेकानंद अपने काम में लग गया।
4 घंटों के बाद
लड़का कुत्तें को लेकर वापस आ गया पर अब वो उदास नहीं था, अब वो हारा हुआ और बीमार भी नहीं लग रहा था बल्कि उसके चेहरे पर हंसी थी। स्वामी विवेकानंद के पास आ कर वो और मुस्कुराने लगा।
स्वामी ने उससे पूछा की बेटे तुम्हारें सवाल से पहले मुझे तुम एक बात बताओ की मेरा कुत्ता इतना थका हुआ क्यों है जबकि तुम बिलकुल नहीं थके और मुस्कुरा भी रहे हो।
लड़के ने थोड़ी देर सोचा और डरते हुए कहा, स्वामी जी मैंने आपके कुत्तें को कई बार रोकने की कोशिश की पर ये रास्तें में हर गली में दूसरें कुत्तों के पास भाग जाता था और फिर मेरे पास वापिस आ जाता था इसलिए मैं सीधे रास्ते से गया और मैंने कम रास्ता तय किया जबकि आपके कुत्तें ने यहां वहां भाग भाग कर मुझसे दुगना रास्ता तय किया इसलिए ये इतना हारा हुआ लग रहा है।
स्वामी विवेकानंद मुस्कुराएँ और उस लड़के के कंधे पर हाथ रखकर उसे अंदर ले गए और उसे अपने सामने बैठा कर बोले की बेटा तुम्हारें सवाल का जवाब तुमने खुद ही दे दिया पर तुम उसे समझ नहीं पाए लड़के ने कहा, कैसे मैं समझा नहीं।
स्वामी बोले, देखो बेटा तुम मेरे कुत्तें को घुमाने इसलिए ले गए थे की तुमे वो काम करके अपने सवाल का जवाब मिलेगा और तुमने इसकी वजह से अपने सारे दुःख भुला कर ये काम किया और जब तुम मेरे पास आए तो तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान थी क्योंकि तुमे पूरा यकीन था की मैं तुम्हारे सवाल का जवाब दूंगा मतलब तुमे अपने काम का फल मिलने का पूरा विश्वास था।
तुम इसलिए नहीं थके क्योंकि तुम्हारे दिमाग में रास्ते की मुश्किलें नहीं अपनी मंजिल थी और मंजिल पाने के चक्कर में तुम रास्ते की सारी मुश्किल भूल गए की तुमने कितना लंबा रास्ता तय किया, कितनी मेहनत की और यहां तक की तुम रास्ते में कही रुका भी नहीं होगा।
इसके विपरीत, मेरा कुत्ता रास्ते में यहां वहां भागता रहा, दुसरे कुत्तों के पास जाता और फिर तुम्हारे पास आ जाता नतीजन वो आखिर में हार गया।
बिलकुल वैसे ही आदमी की जिंदगी होती है वो अपनी मंजिल के रास्ते को छोड़ कर दुसरे के पास यहां वहां भागता रहता जिससे वो अपनी मंजिल तक पहुँचनें से पहले ही हार जाता है साथ ही यहां वहां भटकने से वो अपनी मंजिल का रास्ता भी भूल जाता है।
इसलिए अगर आप जिंदगी में कामयाब बनना चाहते है तो अपने आप पर विश्वास कर मंजिल के सही रास्ते पर चलो, जिससे आपकी मेहनत खराब ना हो, अगर आप सही रास्ते पर चलोगे तो एक ना एक दिन यकीनन आपको कामयाबी मिल जाएगी।
निष्कर्ष
मैंने इस पोस्ट में स्वामी विवेकानंद की कहानी को थोडा बदल कर लिखा है ताकि आपको ये बात आसानी से समझ आ सके और आप ये जान सके की मैं आपको ये कहानी क्यों सुना रहा हु और इस कहानी का तात्पर्य क्या है।
अगर आपने इस पोस्ट और कहानी को ध्यान से पढ़ा होगा तो पढ़ने के बाद आपको ये समझ आ गया होगा की सफलता पाने के लिए क्या करना है तो आज से ही यहां बताई बातों को फॉलो करना शुरू कर दीजिए।
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