Muharram Shayari, Quotes in Hindi (मुहर्रम शायरी हिंदी में): इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार मुहर्रम केवल मातम का महिना नहीं है। यह एक सीख है कि ज़ुल्म के खिलाफ खड़े रहना ही इंसानियत होती है। कर्बला की मिट्टी में बहा हर आँसू एक शायरी बन गया, और हर दर्द एक मिसरा। इस पोस्ट में हम आपके लिए लाए हैं दिल छू लेने वाली मुहर्रम की शायरी, जो इमाम हुसैन की शहादत, सब्र और इंसानियत के जज़्बे को बयां करती है।

Muharram 2025 Shayari in Hindi: यह महिना केवल नए साल की शुरुआत का प्रतीक नहीं, बल्कि धैर्य, बलिदान और सत्य के लिए संघर्ष का महीना है। खासकर इसका दसवां दिन, आशूरा, इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की कर्बला में शहादत की याद दिलाता है—जो अन्याय और ज़ुल्म के खिलाफ इंसानियत की प्रतिज्ञा दर्शाती है।
Table of Contents
- Muharram Shayari, Quotes in Hindi (मुहर्रम शायरी हिंदी में) Shayari Imam Hussain Quotes in Hindi
- Muharram Shayari (मुहर्रम शायरी)
- Karbala Shayari | हुसैन जिंदाबाद शायरी Hindi
- Imam Hussain Shayari 2 line | हुसैनी शायरी हिंदी में
- मुहर्रम शायरी का भाव एवं भूमिका
- Muharram Shayari, Quotes साझा करने के लिए सुझाव
Muharram Shayari, Quotes in Hindi (मुहर्रम शायरी हिंदी में) Shayari Imam Hussain Quotes in Hindi
2025 में मुहर्रम 27 जून से शुरू हुआ, और आशूरा 6 जुलाई को मनाया जाएगा (चाँद की स्थिति पर निर्भर)। लखनऊ जैसे शहरों में 186 साल पुरानी शाही ज़री जुलूस निकला, जहाँ “या हुसैन” की आवाज़ों, ढोल-ताशों और लाखों श्रद्धालुओं के बीच आदरपूर्वक मातम मनाया गया।
यहाँ Muharram 2024, Muharram 2025, Muharram Shayari, Imam Hussain, Imam Husain, Imam Husayn, Husayn ibn Ali, muharram wishes, quotes दी गई हैं।
Muharram Shayari (मुहर्रम शायरी)
1. आज भी तेरे अकीदे पर, लाखों लोग चलते हैं।
या हुसैन! तेरी शहादत, है हमेशा के लिए अमर।
2. कर्बला की जमीं पर लहू बहा दिया,
हक़ की खातिर हुसैन ने सर कटा दिया।
3. ना था पास कुछ, फिर भी सब कुछ लुटा दिया,
हुसैन ने इस्लाम के लिए सब कुछ बता दिया।
4. कर्बला की धरती पर जो लिखा गया था लहू से,
वो पैग़ाम आज भी इंसानियत को ज़िंदा रखता है।
Karbala Shayari | हुसैन जिंदाबाद शायरी Hindi
5. कर्बला की कहानी में कत्लेआम था,
लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था।
6. सिर गैर के आगे न झुकाने वाला,
इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला—हुसैन ही हुसैन है।
7. हुसैन तेरी अता का चश्मा दिलों के दामन भिगो रहा है,
ये आसमान में उदास बादल तेरी मोहब्बत में रो रहा है।
8. पानी का तलब हो तो एक काम किया कर,
कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर।
9. मैदान-ए-कर्बला में जो शब्बीर की नमाज़ थी,
वो दुनिया को बंदगी का तरीक़ा बता गई।
10. न समझो कि हुसैन की कहानी खत्म हो गई,
वो हर दिल में एक जिंदा इंकलाब बन गया।
11. हुसैन ने दिया फर्ज़ का पैगाम,
ज़ालिमों को दिखाया सच्चाई का अंजाम।
Imam Hussain Shayari 2 line | हुसैनी शायरी हिंदी में
12. नफरतों की आंधी में भी जला दिया चराग,
हुसैन ने इन्साफ़ का किया आगाज़।
13. जो कर्बला में शहीद हुए वो बस मिटे नहीं,
वो हर दिल में बसे हैं, वो कभी भी सिले नहीं।
14. हुसैन वो नाम है जो मिटा नहीं,
हुसैन वो शान है जो झुका नहीं।
15. जिनके लहू ने बचाया इस्लाम,
वो हुसैन हैं, इमामों के इमाम।
16. कर दिया कर्बला में सब कुछ कुर्बान,
फिर भी ना आया लब पर कोई ग़मगीन बयान।
17. जो पानी को भी मोहताज थे,
फिर भी खुदा की रज़ा से राज़ी थे।
18. एक तरफ ज़ुल्म की ताक़त थी,
दूसरी तरफ हुसैन की इबादत थी।
19. हुसैन का कत्ल नहीं हुआ,
इंसानियत का इम्तिहान हुआ।
20. नसीब वालों को नसीब होती है ऐसी कुर्बानी,
जो कर दे नाम रोशन, और मिटा दे नफ़रानी।
मुहर्रम शायरी का भाव एवं भूमिका
मुहर्रम का महीना दर्द और श्रद्धा से भरा होता है—यह मातम का समय है, लेकिन साथ ही यह चेतना, संकल्प, और आत्मनिरीक्षण का भी समय है। लोगों द्वारा लिखी जाने वाली शायरी:
- आँखों में अश्क, लबों पर दुआ: यह मृत्यु का शोक नहीं, बल्कि इमाम हुसैन की याद को सहेजने और आगे बढ़ने की प्रेरणा होती है।
- चंद शब्दों में गहन संदेश: शायरी में उनका संदेश—सत्य के लिए खड़े होना, सत्ता के आगे सिर न झुकाना, और ईमानदारी की यात्रा—कुछ ही शब्दों में गहरे असर छोड़ते हैं।
Muharram Shayari, Quotes साझा करने के लिए सुझाव
- शायरी को व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम स्टोरी, फेसबुक पोस्ट या ट्विटर थ्रेड के रूप में साझा करें।
- शायरी के साथ इमेज कार्ड जोड़ें जिसमें ताजिया, कर्बला, या “या हुसैन” लिखा हो।
- वीडियो स्लाइडशो या ऑडियो पंक्तियों के रूप में प्रस्तुत करें जिससे प्रभाव और बढ़े।
Muharram 2024 और Muharram 2025 की शायरी सिर्फ शब्दों का संग्रह नहीं है—यह याददाश्त, भावनात्मक जुड़ाव, और मानवीय मूल्यों की पुकार है। इमाम हुसैन की शहादत का संदेश—सत्य, इंसाफ़ और निडरता की प्रेरणा—आज की दुनिया में भी उतना ही प्रासंगिक है।
यह लेख श्रद्धा और संवेदना से लिखा गया है ताकि आप इमाम हुसैन की कुर्बानी को शायरी के माध्यम से महसूस कर सकें और दूसरों तक भी पहुंचा सकें।
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