दोस्तों, आप सभी ने GST के बारे में सुना ही होगा। इसे केंद्र सरकार ने इसे साल 2024 में लागू किया था। GST का मतलब है गुड्स एंड सर्विस टैक्स (Good and Services Tax)। इस जीएसटी के लागू होने से पहले हम लोगों को कई तरह के टैक्स देने पड़ते थे लेकिन सरकार ने वन नेशन वन टैक्स की तर्ज पर इसे लागू किया। आज हम आपको आसान भाषा में GST को बारीकी से समझाएंगे। तो आईये जानते है, जीएसटी क्या होती है? पूरी जानकारी हिंदी में
GST, एक तरीके से एक INDIRECT TAX है जो तब लगता है जब हम कोई प्रोडक्ट या सर्विस खरीदते हैं। अब आप सोचेंगे कि इस तरह से टैक्स तो हम पहले भी देते थे, फिर इसमें क्या नया है।
इसको लागु हुए 2 साल से ज्यादा समय हो गया है लेकिन आज भी कई लोग ऐसे हैं जिन्हें GST के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है। तो अगर आपको भी इसके बारे में नहीं पता है और आप इसके बारे में जानना चाहते है तो आप बिलकुल पोस्ट पढ़ रहे है।
आज इसी बारे में हम डिटेल से जानेंगे कि GST दूसरे टैक्स सिस्टम से कैसे अलग है, इसे क्यों शुरू किया गया था और इसके क्या फायदे और नुक्सान हैं? GST kya hai, GST kya hota hai, Information about GST in Hindi?
Table of Contents
- जीएसटी क्या है? (What is GST in Hindi)
- GST की क्यों ज़रूरत पड़ी?
- GST क्यों लाया गया?
- GST की विशेषताएं (Advantages of GST in Hindi)
- तीन प्रकार से लगेगा जीएसटी – Three Types Of GST
- जीएसटी की दर (Rate Of GST in Hindi)
- जीएसटी में टैक्स कैसे दिया जाता है?
- टैक्स क्रेडिट कैसे मिलेगी?
- जीएसटी रिटर्न – GST Returns in Hindi
- जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कैसे कराएं?
- किसे रजिस्ट्रेशन करवाना है ज़रूरी?
- Conclusion,
जीएसटी क्या है? (What is GST in Hindi)
GST की फुल फॉर्म है Good and Services Tax, यानि वस्तु एवं सेवा कर। ये भारत में एक अप्रत्यक्ष कर है जिसका उपयोग वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर किया जाता है।
आपको पता होगा पहले हम लोग कई तरह के टैक्स जैसे सेल्स टैक्स, एक्साइज़ टैक्स, सर्विस टैक्स पे करते थे। लेकिन अब हम सिर्फ अलग अलग तरह का GST भरते हैं।
सरकार का मकसद था कि पूरे देश में किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस पर एक ही रेट लगाना। मतलब आप देश में किसी के कोने में रह रहे हो लेकिन किसी भी वस्तु पर आपको एक तय टैक्स ही चुकाना होगा।
GST की क्यों ज़रूरत पड़ी?
अगर आप सोच रहे हैं कि जब टैक्स सिस्टम पहले से ही था तो इसे क्यों लागू किया गया। तो दोस्तो, इसका आसान सा कारण है पुराने सिस्टम में गड़बड़ी। जी हां पुराने टैक्स सिस्टम में कमियां होने के कारण सरकार ने वन नेशन वन टैक्स का लागू किया।
चलिए आपको उदाहरण के साथ पुराना सिस्टम समझाती हूं,
मान लीजिए किसी भी फैक्टरी में कोई समान मैन्युफैक्चर हुआ फिर उसको मार्केट में बिकने के लिए निकाला गया। जैसे ही वो फैक्टरी से निकला उस पर लगा उत्पाद टैक्स जिसे अंग्रेजी में EXCISE DUTY कहा जाता है।
इसके अलावा कभी कभी सामानों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क भी लगाया जाता था। जब फैक्टरी का ये माल दूसरे राज्यों में जाता था तो उस पर लगता था एंट्री टैक्स।
जब माल मार्केट में बिकता था तो उस पर VAT यानि सेल्स टैक्स लगता था। कई बार हम लोगं को पर्चेज टैक्स भी चुकाना पड़ता था। वहीं, अगर कोई LUXURIOUS सामान है तो उसपर LUXURY TAX भी लगता था।
अब अगर फैक्टरी का वो माल किसी रेस्ट्रो या होटल में बेचा रहा जा है तो सर्विस टैक्स भी हमें भरना पड़ता था। मोटा-माटी भाषा में समझें तो जब तक CONSUMER के हाथ में कोई प्रोडक्ट पहुंचता था तो उससे पहले उस पर कई तरह के टैक्स लग चुके होते थे।
GST क्यों लाया गया?
भारतीय संविधान के मुताबिक, केंद्र सरकार वस्तुओं के उत्पादन (MANUFACTURING) और सेवाओं (SERVICE) पर टैक्स लगा सकती थी जबकि राज्य सरकार को वस्तुओं की बिक्री (SALE) पर टैक्स लगाने का अधिकार था।
इसी कारण किसी भी वस्तु पर कई तरह के टैक्स लग जाते थे। कभी-कभी CONSUMER को टैक्स के ऊपर का भी टैक्स पे करना पड़ता था। इसीलिए सरकार ने एक ऐसा टैक्स तैयार किया जो PRODUCTION से लेकर SALE पर एक ही हो।
सरकार ने GST को सिर्फ एक ही आधार दिया वो है सप्लाई यानि सारे टैक्स खत्म हो गए और सिर्फ सप्लाई को टैक्स लगाने का आधार बनाया गया। संसद में संविधान संशोधन का बिल पास कराया गया और पूरे देश में सिर्फ टैक्स सिस्टम लागू हुआ जो है GST।
GST की विशेषताएं (Advantages of GST in Hindi)
GST लागू होने के बाद देश की आम जनता को काफी फायदा हुआ है क्योंकि इसके लागू होने के बाद सभी किसी भी वस्तु पर एक तय टैक्स ही लगता है।
- अब टैक्स सिस्टम पहले से ज़्यादा आसान हो गया है।
- आम जनता को कर के ऊपर कर नहीं चुकाना पड़ता है।
- GST लागू होने के बाद हेराफेरी के मामलों पर भी रोक लगी है।
- पुराने टैक्स सिस्टम में उपभोक्ता को 30-35% चुकाना पड़ता था लेकिन GST लगने के बाद टैक्स मैक्सिमम 28% लगता है।
आइए अब एक नज़र डालते हैं GST लगने से पहले सामान की टैक्स दरों और बाद के बदलावों पर।
GST का घरेलु खर्च पर असर
Category | Before GST | After GST |
Food | 12.5% | 5.00% |
Entertainment | 30.00% | 28.00% |
Transportation | 15.00% | 18.00% |
Household – Personal Care | 28.00% | 18.00% |
Mobile Phone | 15.00% | 18.00% |
Insurance Premium | 15.00% | 18.00% |
Credit Card Bills | 15.00% | 18.00% |
तीन प्रकार से लगेगा जीएसटी – Three Types Of GST
- सेन्ट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स – Central Goods and Service Tax (CGST)
- स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स – State Goods and Service Tax (SGST)
- इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स – Integrated Goods and Service Tax (IGST)
चलिए एक उदाहरण से समझते हैं कि ये तीन टैक्स कैसे IMPOSE होंगे।
जब कोई सामान एक राज्य में बनाया जा रहा है और उसे उसी राज्य में सप्लाई किया जा रहा है तो उस सामान पर CGST और SGST लगेगा। मतलब केंद्र और राज्य सरकार में टैक्स बराबर-बराबर शेयर होगा।
वहीं, अगर कोई सामान एक राज्य में बन रहा है और उसे दूसरे राज्य में सप्लाई किया जा रहा है तो उसपर IGST लगेगा। इस टैक्स को केंद्र सरकार लेगी।
जीएसटी की दर (Rate Of GST in Hindi)
देश की जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी के लिए पांच अलग अलग स्लैब तय किए गए हैं। जो कि हैं 0%, 5%, 12%, 18% और 28%। जो वस्तुओं ज़रूरत की है उन पर जीरो फीसदी कर और जो वस्तु कम ज़रूरी है उन पर ज़्यादा टैक्स।
जैसे कच्चा माल (अनाज, सब्जियों )पर जीरो फीसदी टैक्स लगता है। वहीं एयर कंडीशनर, रेफ्रिजिरेटर, मेकअप आदि पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है। बता दें कि काउंसिल ने शिक्षा और स्वास्थ्य को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है।
जीएसटी में टैक्स कैसे दिया जाता है?
चलिए एक छोटे से उदाहरण से समझते हैं।
मान लीजिए एक शर्ट का कपड़ा किसी फैक्टरी में बना और वहां से CONSUMER के पास पहुंचा। तो सबसे पहले माल WHOLESALER के पास जाएगा। WHOLESALER के पास से RETAILER के पास पहुंचेगा और आखिर में CONSUMER के पास।
जब शर्ट का कपड़ा WHOLESALER के पास गया तो कंपनी ने WHOLESALER से GST वसूलेगी। WHOLESALER, RETAILER पर GST लगाएगा। और इसी तरह RETAILER अपने ग्राहक से जीएसटी लेगा।
टैक्स क्रेडिट कैसे मिलेगी?
GST सिस्टम में टैक्स क्रेडिट भी एक टर्म है। चलिए उसका फंडा समझते हैं।
बता दें कि ऊपर दिए गए उदाहरण में WHOLESALER और RETAILER ने जो टैक्स दिया वो उन्हें टैक्स क्रेडिट के रूप में वापिस मिल जाएगा। जो उन्हें सरकार देगी।
ये पैसा उन्हें तब मिलेगा जब वो GST का मंथली रिटर्न भरेंगे। इसी में उनके द्वारा भरा गया टैक्स उनको वापिस मिल जाएगा। यही पूरा प्रोसेस टैक्स क्रेडिट सिस्टम है। इसके लिए WHOLESALERS, RETAILERS को बाकायदा अपने पास रसीद रखनी पड़ेगी।
जीएसटी रिटर्न – GST Returns in Hindi
आसान सी भाषा में समझते हैं कि जैसे आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं वैसे ही जीएसटी रिटर्न होता है। दरअसल, जीएसटी सिस्टम में कोई भी कालाबाजारी न हो और कारोबारियों के बिजनेस पर पूरी तरह से नज़र रखी जा सके।
इसीलिए GST RETURN भरना होता है। इससे सरकार के पास कुल बिक्री, खरीददारी और टैक्स देनदारी का पूरा ब्यौरा सरकार के पास पहुंचता है। इसी के बाद ही बिजनेसमैन को टैक्स क्रेडिट होता है।
जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कैसे कराएं?
जीएसटी रिटर्न करने के लिए GST वेबसाइट www.gst.gov.in पर क्लिक करें। यहां आपसे कुछ ज़रूरी जानकारियां मांगी जाएंगी, उन्हें भर दें। जैसे ही आपका आवेदन मंजूर होगा और एक GSTIN जेनरेट करके भेजा जाएगा।
इसके अलावा आपको एक provisional Login ID and password भी मिलेगा जिसके ज़रिए आप पोर्टल में लॉग-इन कर सकेंगे।
किसे रजिस्ट्रेशन करवाना है ज़रूरी?
साफ तौर पर कहें तो जिनकी सालाना इनकम 50 लाख से ज़्यादा है उनके लिए रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है। वहीं, पूर्वोत्तर भारत के राज्यों के बिजनेसमैन के लिए इनकम की सीमा 20 लाख तय की गई है।
Conclusion,
दोस्तों, हमने इस आर्टिकल में बेहद आसानी सी भाषा में आपको जीएसटी का फंडा समझाने की कोशिश की है। उम्मीद है कि आपको पूरा सिस्टम समझ आया होगा। ज़रूरत के मुताबिक हमने ज़्यादातर टॉपिक्स को इसमें कवर भी किया है और आपको समझाने के लिए उदाहरणों का भी इस्तेमाल किया है।
हमने सीखा कि जीएसटी क्या है, क्यों लागू किया, इसके फायदे क्या है, कितने प्रकार का होता, घरेलु उत्पादों पर क्या प्रभाव पड़ा और जीएसटी रिटर्न कैसे फाइल करते हैं?
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Sir, Thank you so much for this important information