TRP क्या है? (What is TRP in Hindi): अगर आप टीवी देखते हैं तो आपने टीआरपी के बारे में तो सुना ही होगा। अगर नहीं तो यह पोस्ट आपके लिए ही है, क्योंकि यहां पर मैं Television Rating Point के बारे में विस्तार से बता रहा हूं। इस पोस्ट में आपको TRP की पूरी जानकारी मिल जाएगी। तो चलिए जानते हैं, टीआरपी क्या है - What is TRP and How is it Calculated in Hindi.
इस समय The Kapil Sharma Show सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहा है। यह टीवी सीरियल Top 10 TRP TV Shows में नंबर वन पर है। अन्य कई टीवी चैनल टॉप में रह चुके हैं।
आपने TV देखते वक्त टीआरपी के बारे में सुना होगा। लेकिन इस पोस्ट में आपको टीआरपी क्या है, टीआरपी का क्या महत्व है, TRP क्या होती है, टीआरपी की गणना कैसे होती है? इस सब की जानकारी मिलेगी।
तो चलिए सबसे पहले हम जानते हैं कि टीआरपी क्या होती है।
TRP क्या है? (What is TRP in Hindi)
TRP की फुल फॉर्म होती है टेलीविजन रेटिंग पॉइंट (Television Rating Point), यानी टेलिविजन रेटिंग पॉइंट को short में टीआरपी कहते हैं।
TRP एक ऐसा उपकरण या टूल है, जिसके द्वारा यह पता लगाया जाता है कि टीवी पर कौनसा प्रोग्राम या टीवी चैनल सबसे ज्यादा देखा जा रहा है।
इसके द्वारा अनुमान लगाया जाता है कि एक न्यूज़ चैनल की या किसी प्रोग्राम या मनोरंजन चैनल की इतनी प्रसिद्धि है और इसे कितने लोग पसंद करते हैं, इससे लोगों की पसंद का पता चलता है।
भारत में इंडियन टेलिविजन ऑडियंस मेजरमेंट (Television Audience Measurement India) नाम की एक एजेंसी है, जो टीवी चैनलों के टीआरपी का अनुमान लगाने का काम करती हैं।
यह एजेंसी विभिन्न फ्रीक्वेंसी की जांच करके यह पता करती है कि कौनसा टीवी चैनल किस समय पर सबसे ज्यादा देखा गया है। इसी तरह से यह कंपनी कई हजार Frequency का विवरण करके पूरे देश के प्रसिद्ध धारावाहिकों का अनुमान लगाती है।
इसके कारण किसी भी प्रोग्राम या चैनल की पॉपुलारिटी को समझने में मदद मिलती है और आसानी से पता चल जाता है कि कौन सा चैनल सबसे ज्यादा देखा जाता है।
जिस चैनल को जितने ज्यादा लोग देखेंगे, जितने ज्यादा समय तक देखा जाएगा उस चैनल की टीआरपी उतनी ही ज्यादा होगी। इस टीआरपी से एडवरटाइजर को फायदा होता है और उन्हें ऐड देने के लिए ढूंढने में आसानी होती है।
TRP रेटिंग कैसे तय होती है?
भारत की इंडियन टेलीविजन ऑडियंस मेजरमेंट एजेंसी विभिन्न फ्रीक्वेंसी की जांच करके यह पता लगाती है कि कौन सा चैनल कितनी ज्यादा बार देखा जाता है, इससे यह पता चल जाता है कि चैनल कितना ज्यादा पॉपुलर है।
एजेंसी इसी प्रकार से कई हजार फ्रीक्वेंसीस का विवरण कर पूरे देश के पॉपुलर टीवी चैनलों का अनुमान लगाती है। एजेंसी टीआरपी को मापने के लिएएक विशेष प्रकार का गैजेट इस्तेमाल करती हैं।
TRP मापने वाले यंत्र को पीपल मीटर (People Meter) कहते हैं। 20 मीटर की मदद से टीवी देखने वाले लोगों की आदतों पर नजर रखी जाती है।
टीआरपी को मापने के लिए कुछ निर्धारित जगहों पर "पीपल मीटर" लगाया जाता है, जो एक फ्रीक्वेंसी के जरिए यह पता लगाता है कि कहां कौन सा सीरियल देखा जा रहा है और कितनी बार देखा जा रहा है।
इस मीटर से टीवी से जुड़ी हर मिनट की जानकारी मॉनिटरिंग टीम के जरिए इंडियन टेलीविजन ऑडियंस मेजरमेंट एजेंसी को भेजी जाती है। इस जानकारी के मिलने के बाद टीम यह तय करती है कि किस चैनल की टीआरपी सबसे ज्यादा है।
टेलिविजन रेटिंग पॉइंट (TRP) के हिसाब से सबसे ज्यादा पॉपुलर चैनलों की लिस्ट बनाई जाती है और फिर वीकली या महीने के हिसाब से टॉप 10 टीआरपी टीवी सीरियल, चैनल का डाटा सार्वजनिक किया जाता है।
आज के समय में, केवल INTAM (इंडियन टेलीविजन ऑडियंस मेजरमेंट) एकमात्र एजेंसी है जो टीआरपी मापने का काम करती है। इस प्रकार से टीआरपी की गणना होती है।
टीआरपी का क्या महत्व है? (TRP Importance in Hindi)
TRP को इतना ज्यादा महत्व इसीलिए दे जाता है क्योंकि इसका संबंध सीधा चैनल की कमाई से होता है। जिस चैनल को कम दर्शक देखते हैं उसकी टीआरपी गिर जाती है और उस पर एडवर्टाइजमेंट कम मिलते हैं।
T.R.P. सबसे ज्यादा Advertisers के लिए महत्वपूर्ण होती है। क्योंकि इससे उन्हें बड़ी आसानी से यह पता लग जाता है कि किस चैनल पर ऐड देने से उन्हें ज्यादा से ज्यादा फायदा होगा।
टी. आर. पी. डाटा विज्ञापनदाताओं के लिए बहुत उपयोगी होता है। हर विज्ञापनदाता सबसे ज्यादा टीआरपी वाले चैनल पर ऐड देना पसंद करता है, क्योंकि इससे उसे ज्यादा ऑडियंस मिलते हैं।
जिस चैनल की जितनी ज्यादा टीआरपी होती है उसे उतने ही ज्यादा कॉन्ट्रैक्ट मिलते हैं और उसकी उतनी ही ज्यादा कमाई होती है। मतलब शिक्षण की जितनी ज्यादा टीआरपी होगी उतनी ही ज्यादा कमाई कर रहा होगा।
इसीलिए हर कोई अपने चैनल की टीआरपी बढ़ाने में लगा हुआ होता है और हर्ष में अपने चरण को टॉप में लाने की कोशिश करता है। इसे चैनल पर काम करने वाले कलाकारों और चैनल मालिकों दोनों का फायदा होता है।
TV चैनल की TRP कैसे चेक करते हैं?
TV Serial और Channel का TRP Check करने के लिए "पीपल मीटर" का इस्तेमाल किया जाता है। ये मीटर Specific Frequency के द्वारा ये पता लगाते हैं कि कहां कौन सा चैनल देखा जा रहा है।
People's Meters के द्वारा लोगों के Television की एक 1 मिनट की Information को Monitoring Team (Indian Television Audience Measurement) तक पहुंचा दिया जाता है।
टीआरपी का पता करने के लिए आपसे आपके टेलीविजन या डिश में सेटअप बॉक्स लगाने के लिए कहा जाता है। इसी सेटअप बॉक्स के जरिए टीआरपी को Calculate किया जाता है।
उसके बाद INTAM Team करता है कि किस चैनल का सीरियल का टीआरपी कितना है। मैं यहां आपको कुछ टॉप टीआरपी टीवी चैनल के बारे में बता देता हूं।
TRP स टीवी चैनल की इनकम कैसे होती है?
आपने टीवी पर चैनल देखते समय बीच बीच में 1-2 मिनट के Ads जरूर देखें। इन्हीं के जरिए टीवी चैनल की कमाई होती है। अधिकतर टीवी चैनलों की कमाई का जरिया विज्ञापन ही होते हैं।
विज्ञापनदाता अपनी कंपनी, प्रोडक्ट और सर्विस का प्रमोशन करने के लिए टीवी चैनलो पर अपना विज्ञापन दिखाने के लिए करोड़ों रुपए देते हैं।
अब जिस टीवी चैनल की टीआरपी सबसे ज्यादा होगी, मतलब उसे सबसे ज्यादा लोग देखते होंगे। इसीलिए विज्ञापनदाता सबसे ज्यादा टीआरपी वाले चैनलों पर विज्ञापन देना पसंद करते हैं।
इससे उनके Ad सबसे ज्यादा लोगों तक पहुंचते हैं और उन्हें ज्यादा बेनिफिट मिलता है। चैनल की टीआरपी जितनी ज्यादा होगी वह विज्ञापन दाताओं से ऐड दिखाने के लिए उतना ही ज्यादा पैसे लेता है।
जितने भी टीवी चैनल हैं सोनी, स्टार प्लस, ज़ी टीवी, कलर्स और एनडीटीवी, आज तक इंडिया टीवी जैसे न्यूज़ चैनल और बाकी सभी टीवी चैनल विज्ञापन के जरिए ही कमाई करते हैं।
टीवी चैनल टीआरपी कम ज्यादा होने से क्या प्रभाव पड़ता है?
किसी भी टीवी चैनल दिया प्रोग्राम की टीआरपी कम ज्यादा होने से, सीधा असर उसकी कमाई (Income) पर पड़ता है। क्या पिक कम होने पर चैनल को घटा होगा टीआरपी ज्यादा होने पर चैनल को फायदा होगा।
इसे हम इस उदाहरण से समझ सकते हैं, मान लीजिए एक टीवी चैनल पर 5 कलाकार काम करते हैं उन्हें सालाना 10-10 लाख रुपए देता है और बाकी खर्च 10 लाख रूपये का आता है।
अब अगर उस चैनल की टीआरपी ज्यादा है और उस चैनल पर विज्ञापनदाता 1 करोड़ के ऐड दे रहे हैं तो चैनल मालिक को 5 लोगों की सैलरी 10x5=50 और 10 खर्च वाले कम करके 40 लाख बचते हैं।
अब अगर उस चैनल की टीआरपी नीचे गिर जाती है विज्ञापनदाता उस पर ऐड देना बंद कर देते हैं तो तेरे मालिक को चाल का खर्च और काम करने वालों को अपनी जेब से पैसा देना होगा।
निष्कर्ष,
इस पोस्ट में हमने टीआरपी क्या है, टीआरपी कैसे तय होती है, टीआरपी क्यों महत्वपूर्ण है, ज्यादा टीआरपी होने के क्या फायदे हैं, टीवी चैनलों की टीआरपी कैसे चेक की जाती है? इस सब के बारे में जाना।
हमने इस पोस्ट में टीआरपी को अच्छे से एक्सप्लेन करने की कोशिश की है। उम्मीदें आपको इस पोस्ट में दी गई टीआरपी की जानकारी पसंद आई होगी।
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जुमेदीन खान मेने आपका ये लेख पढ़ा मुजे TRP क्या है इस विषय पर ज्यादा जानकारी नहीं थी आपके द्वारा लिखा गया ये लेख मेरी बहोत मदद किया है धन्यवाद।
good info.
Bohat informative article hai. ..
sir is article ko padne ke baad mujhe kafi achha laga realy men is an article men dam hai thankas sir
मैं कुमकुम भाग्य और कुंडली भाग्य सिरियल्स देखता हूं मगर इनमें अब वहायात बातें आती हैं जो बोर करती हैं।दूऐ चैनलों पर जाकर दूसरे सिरियल्स देखता हूं। फिर इस आशा से कि कुछ अच्छा आया हो दोबारा इन सिरियल्स को देखने के लिए जीटीवी पर आता हूं।मगर फिर भी कुछ अच्छा नहीं मिलता। नापसंद होते भी बार-बार इस चैनल पर चले जाते हैं।
इस तरह ये दोनों सिरियल्स मेरे नापसंद हैं तो इस लिहाज से इनकी टीआरपी कैसे बढ़ सकती है।यह प्रसिद्धि मापने का उचित तरीका नहीं है।
हां पसंद नापसंद करने पर प्रसिद्धि की सही जानकारी मिल सकती है।
Very nice Article
Bahut hi Informational psot hai
Thank you
धन्यवाद सर आपने बहुत अच्छा से समझाया है
बहुत ही अच्छी जानकारी है
बहुत रोचक जानकारी