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मुख्यपृष्ठ / ब्लॉग / लाइफ सक्सेस / अब्दुल कलाम की जीवनी - A. P. J. Abdul Kalam Biography in Hindi

अब्दुल कलाम की जीवनी - A. P. J. Abdul Kalam Biography in Hindi

By: जमशेद खानLast Updated: 15 Apr, 2020

भारत रत्न, मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति डॉ. अबुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम भारत गणराज्य के ग्यारहवें राष्ट्रपति थे। विज्ञान की दुनिया से देश का प्रथम नागरिक बनने का गौरव डॉ. कलाम को समर्पित कर्मनिष्ठा का परिणाम हैं। Dr. A. P. J. Abdul Kalam Biography in Hindi.

Dr A P J Abdul Kalam Biography in Hindi

डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम कस्बे में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता जैनालुबदीन की बहुत अच्छी औपचारिक शिक्षा नहीं हुयी थी और ने ही वे बहुत धनी व्यक्ति थे लेकिन समझ और बुद्धि में श्रेष्ठ थे।

उनमें उदारता की सच्ची भावना थी। इनके पिता जी स्थानीय ठेकेदार से मिलकर लकड़ी की नौकाएं बनाने का काम करते थे। कलाम को विरासत में पिता जी से ईमानदारी और अनुशासन तथा माँ से ईश्वर में विश्वास और करुणा का भाव मिला था।

  • अब्दुल कलाम के अनमोल विचार - Dr. A. P. J Abdul Kalam Quotes in Hindi

कलाम ने शुरूआती पढ़ाई रामेश्वरम के प्राथमिक विद्यालय से की। उनके शिक्षक अयादुरै सोलोमन ने बचपन में ही उन्हें कहा "जीवन में सफल होने और उत्कृष्ट परिणाम के लिए इच्छा, आस्था और अपेक्षा को समझना और मानना जरूरी हैं।" शिक्षक की बात को आत्मसात करना कलाम का नैसर्गिक गुण रहा है।

विषय-सूची

  • डॉ. अब्दुल कलाम का जीवन परिचय - Abdul Kalam Biography & Story in Hindi

डॉ. अब्दुल कलाम का जीवन परिचय - Abdul Kalam Biography & Story in Hindi

Abdul Kalam Biography and Life Story in Hindi:

अर्थाभाव से जूझते हुए भी शिक्षा को निरंतर बनाये रखने के लिए कलाम ने न्यूज़पेपर वितरण का काम भी किया था। तिरुचापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से बी.एस.सी करने के बाद कलाम ने दक्षिण भारत में तकनीकी शिक्षा के लिए मशहूर मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में दाखिला लिया।

वहाँ से हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड बंगलौर चले गये। वहाँ से वैमानिक अभियंता बनकर निकले तो इनके पास नौकरी के दो बड़े अवसर थे। एक अवसर भारतीय वायुसेना का था और दूसरा रक्षा मंत्रालय के अधीन तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय का था।

रक्षा मंत्रालय में चयन से आपकी नवोन्मेष अभीप्सा साकार होने लगी। इन्होने ग्राउंड इक्वीपमेंट मशीन के रूप में स्वदेशी होवर क्राप्ट का मॉडल तैयार कर उसका नाम 'नन्दी' दिया। प्रतिभा का प्रकाश फैलने लगा और कलाम को काम के नए अवसर मिलने लगे।

कलाम को डॉ. विक्रम साराभाई ने भारतीय अंतरीक्ष अनुसन्धान समिति में राकेट इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया। इसके बाद कलाम को सैटेलाइट लांच वैहिकल का (एस.एल.पी.) परियोजना प्रबंधक बनाया गया।

18 जुलाई 1980 को श्री हरिकोटा राकेट प्रेक्षेपण केंद्र से एस.एल.वी. नए सफल उड़ान भरी। इस परियोजना की सफलता ने डॉ. कलाम को राष्ट्रीय पहचान दी। इस उपलब्धि पर उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

सफलता से दायित्वों का बोझ बढ़ता ही जाता है। डॉ. कलाम को रक्षा अनुसंधान तथा विकास प्रयोगशाला में गाईडेड मिसाइल डेवलपमेंट की जिम्मेदारी दी गयी। इस परियोजना पर काम करते हुए अब्दुल कलाम ने पृथ्वी, त्रिशूल, अग्नि, आकाश, नाग, ब्रह्मोस आदि मिसाइलें विकसित की। जो जमीन से समुद्र से और हवा से कही से भी दागी जा सकती है।

इन मिसाइलों के विकास से रक्षा क्षेत्र में भारत की न केवल ताकत बड़ी है, बल्कि विश्व मंच पर भारतीय प्रतिभा का प्रभाव भी बढ़ा है। रक्षा और अन्तरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान के लिए भारत सरकार ने इन्हें 1997 में भारत रत्न से अलंकृत किया।

भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भरता बढ़ाने के लिए 11 और 13 मई 1998 में राजस्थान के पोकरण में पाँच सफल परमाणु परिक्षण किये। इस सम्पूर्ण गोपनीय और विशिष्ट अभियान से डॉ. कलाम ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। डॉ. कलाम साल 2001 तक भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार रहें।

वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल कलाम को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने का आग्रह किया। जिसको स्वीकार कर राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने का फैसला लिया। 90% मतों के समर्थन से कलाम भारत के राष्ट्रपति बने। 25 जुलाई 2002 को कलाम ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली।

संवैधानिक दायित्यों का निर्वहन करते हुए कलाम ने भारत के विकास के स्वप्न को साकार करने का कर्म निरंतर जारी रखा। कलाम का पाँच साल का राष्ट्रपति कार्यकाल भारत के इतिहास का स्वर्णयुग है। गैर राजनैतिक व्यक्तित्व का देश के सबसे बड़े पद पर काम करने का पहला अवसर था।

अपने कार्यकाल में आम जन के प्रति स्नेह, सदभाव और संवेदना के साथ कर्तव्य के प्रति ईमानदारी और निष्ठा से आज भी जनता के राष्ट्रपति के रूप में स्मरणीय हैं।

डॉ. अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति के पद की जिम्मेदारी से निवृत्त होने के बाद भी सुख सुविधा और आराम का जीवन व्यतीत करना पसंद नहीं आया। विजन 2010 के जरिये भारत को अंतर्राष्ट्रीय जगत में समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में देखने की उत्कट लालसा थी। उनका मानना था उन्होंने विजन 2020 का जो सुनहरा स्वप्न संजो रखा है उसे साकार करने में युवा शक्ति पूरी तरह समर्थ हैं।

इसलिए उन्होंने राष्ट्रपति भवन की चहार दीवार से बहार आने के बाद देशभर में प्रवास करना शुरू किया। विद्यालयों, महाविद्यालयों और प्रबंधन संस्थाओं में और अपने व्याख्याओं से ऐसी छाप छोड़ते थे की मानो कक्षा में कोई पूर्व राष्ट्रपति नहीं बल्कि एक कोई धीर गंभीर शिक्षक व्याख्यान दे रहा हो।

जिसके पास ज्ञान का अपार भंडार हो। वे युवाओं के लिए एक दैदीप्यमान प्रकाश स्तम्भ थे। उनके प्रेरणास्पद विचार सुनने वाले युवकों को डॉ. कलाम में एक सच्चे पथ प्रदर्शक के दर्शन भी होते थे।

डॉ. कलाम केवल व्याख्यान ही नहीं देते थे बल्कि छात्रों की जिज्ञासाओं को भी तत्काल शांत करने के लिए तत्पर रहते थे। उनकी एक अभीलाषा थी की सदा उन्हें एक अध्यापक के रूप में याद किया जयर ओए जिस विधाता ने उन्हें यशस्वी जीवन का वरदान देकर इस पावन भूमि पर भेजा था उस विधाता ने उनकी यह इच्छा भी पूरी की।

इसे अदभुत संयोग कहना ही उचित होगा की 25 जुलाई 2015 को कलाम ने आई. आई. एम शिलांग के छात्रों के समक्ष अपना व्याख्यान देते हुये इस संसार को अलविदा कह दिया।

डॉ. कलाम सच्चे अर्थों में कर्मयोगी थे। वे गीता के नियमित अध्येता थे। उन्होंने यह इच्छा व्यक्त की थी की उनके निधन पर कोई अवकाश घोषित न किया जाये और लोग उस दिन अधिक काम करें। इसलिए पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर कोई अवकाश घोषित नहीं किया गया।

उनको हमारी श्रद्धांजली तो यह होगी की जिसका जो काम है उसमें वह समर्पित भाव से जुटा रहे। भारत सरकार ने नई दिल्ली में औरंगजेब रोड का नाम बदल कर डॉ. ए. पी. जे अब्दुल कलाम मार्ग कर दिया है। राजस्थान सरकार द्वारा डॉ. कलाम का जन्म दिवस को विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।

डॉ. कलाम आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उनका प्रेरणादायक व्यक्तित्व और कृतित्व हमें हमेशा स्मरण दिलाता रहेगा की संघर्षों में पला बढ़ा व्यक्ति भी अगर आगे बढ़कर कुछ कर दिखाने की ठान ले तो कठिन से कठिन बाधाएं भी उसका रास्ता नहीं रोक सकती।

इसलिए वे हमेशा युवकों से कहा करते थे की हमेशा बड़े सपने देखो, छोटे सपने देखना अपराध है। जिंदगी में वहीँ स्वप्न साकार होते है जो खुली आँखों से देखे जाते हैं।

ऐसे सपनों को पूरा करने के लिए मन में जूनून होना चाहिए और असफलता से कभी घबराना नहीं चाहिए क्योंकि असफलता तो सफलता की दिशा में पहला प्रयास हैं।

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लेखक: जमशेद खान

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टिप्पणियाँ ( 3 )

एक टिप्पणी जोड़ें
  1. sanjay verma

    26 Oct, 2018 at 5:31 pm

    sir aapne bahut acha article likha hai thanks

    जवाब दें
    • Upendra Kumar pal

      22 Aug, 2019 at 8:51 pm

      very nice

      जवाब दें
    • ghanshyam

      14 Mar, 2020 at 6:28 pm

      Dhanyvad apka ek mahan purus ki biography batane ke liye

      जवाब दें

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