पिता दिवस पर कविता – Fathers Day Poems in Hindi 2024

Pita Par Kavita – Father Poem in Hindi for Father’s Day 2024: जिस तरह माताओं का सम्मान करने के लिए Mother’s Day मनाया जाता है ठीक उसी तरह पिताओं के सहयोग, त्याग और बलिदान को याद करने और उन्हें सम्मान, शुभकामना देने के लिए Father’s Day मनाया जाता है। यहाँ पर हम लेकर आये है, पिताओं के सम्मान में लिखी गयी Pita Par Kavita हिंदी में, जो बाप के प्रति आपका प्यार व्यक्त करने में आपकी मदद करेंगी। Fathers Day Poems in Hindi.

Fathers Day Poems in Hindi - Pita Par Kavita

इस साल पिता दिवस, पितृ दिवस या फादर डे 19 जून 2024 को मनाया जायेगा। इस दिन सभी बच्चे अपने पापा को अच्छा उपहार देते है, उनका पसंदीदा भोजन बनाते है, अच्छी जगह घुमाते है, उनके अमूल्य योगदान के लिए धन्यवाद कहते है और उनके प्रति अपने प्यार का इजहार करते हैं।

इस पोस्ट में हम आपके साथ Baap Par Kavita शेयर कर रहे है। ये कवितायेँ आपको हमारे जीवन में पिता का वास्तविक अर्थ और पिता का महत्व को समझने में आपकी मदद करेंगी।

पापा पर कविता – Poem on Father in Hindi, Pita Par Kavita

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Heart Touching Poems on Father in Hindi

कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता,
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता,
जन्म दिया है अगर माँ ने,
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता,
कभी कंधे पे बिठा के मेला दिखाता है पिता,
कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता,
माँ अगर पैरों पर चलना सिखाती है,
पैरों पर खड़ा होना सिखाता है पिता।

फादर डे कविता

पिता एक उम्मीद है एक आस है,
परिवार की हिम्मत और विश्वास है,
बाहर से सख्त और अंदर से नरम है,
उसके दिल में दफन कई मरम है,
पिता संघर्ष की आँधियों में हौसलों की दीवार है,
परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है,
बचपन में खुश करने वाला बिछौना है,
पिता जिम्मेदारियों से लदी गाड़ी का सारथी है,
सबको बराबर का हक़ दिलाता एक महारथी है,
सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है,
इसी में तो माँ और बच्चों की पहचान है,
पिता जमीर है, पिता जागीर है,
जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है,
कहने को तो सब ऊपर वाला देता है,
पर खुदा का ही एक रूप पिता का शरीर हैं।

पिता जी पर कविता

माँ का गुणगान तो हम हमेशा करते है,
पर बेचारे पिता ने क्या बिगाड़ा है,
संकट से मुक्ति का मार्ग वही तो दिखाता है,
अगर माँ के पास है आँसू का दरिया,
तो पिता के पास सयंम का अस्त्र है,
हमें याद रहती है खाना पकाने वाली माँ,
पर उस खाने का इंतजाम पिता ही तो करता है,
देवकी और यशोदा का प्रेम मन में रखिये,
पर टोकरी में ले जाने वाले पिता को भी याद रखिये,
पुत्र-वियोग पर कौशल्या बड़ी रोई थी,
तो दशरथ तो पुत्र-वियोग में स्वर्ग ही सिधार गये थे,
समय पर माँ होमवर्क पूरा करवा देती है,
पर उधार लेकर डोनेशन देकर प्रवेश पिता ही दिलाता है,
ससुराल को विदा जब होती है बेटियाँ तो,
माएं धाड़-धाड़ आँसू बहा रो देती है पर,
मेरी गुडिया का पूरा ख्याल रखना,
हाथ जोड़कर खून के आँसू रोता पिता ही तो कहता है,
पिता बचत कर कर के नई-नई जींस लाता है,
पर खुद तो पुराणी शर्ट-पेंट पहनता है।

Pita Par Kavita Hindi Mein

माँ घर का गौरव तो पिता घर का अस्तित्व होते है,
माँ के पास अश्रुधारा तो पिता के पास सयंम होता है,
दोनों समय का भोजन माँ बनाती है,
तो जीवन भर भोजन की व्यवस्था करने वाला पिता होता है,
कभी चोट लगे तो मुँह से “माँ” निकलता है,
रास्ता पार करते वक्त कोई पास आकर ब्रैक लगाये तो “बाप” रे ही निकलता है,
क्योकि छोटे-छोटे संकट के लिए माँ याद आती है,
मगर बड़े संकट के वक्त पिता याद आता है,
पिता एक वट वृक्ष है जिसकी शीतल छाव में,
सम्पूर्ण परिवार सुख से रहता हैं।

बाप के लिए एक बेटे के जज्बात कविता के रूप में

नन्हीं सी आँखें और मुड़ी हुई उँगलियाँ थी,
ये बात तक की है जब दुनिया मेरे लिए सोई हुई थी,
नंगे से शरीर पर नया कपड़ा पहनाता था,
ईद-विद की समझ ना थी पर फिर भी मेरे साथ मनाता था,
घर में खाने की कमी थी पर FD में पैसा जुड़ रहा था,
उसके खुद के सपने अधूरे थे,
और मेरे लिए सपने बुन रहा था,
ये बात तक की है जब दुनिया मेरे लिए सोई हुई थी,
वक्त कटा साल बना,
पर तब भी सबसे अनजान था,
पर मैं फिर भी उसकी जान था,
बिस्तर को गिला करना हो या फिर रोना,
एक बाप ही था जिससे छिना था मैंने उसका सोना,
सुबह होने तक फिर गोद में खिलाता,
झूलों को हीलाता, फिर दिन में कमाता,
फिर शाम में चला आता,
कभी खुद से परेशां तो,
कभी दुनिया का सताया था,
एक बाप ही था जिसने मुझे रोते हुए हँसाया था,
अल्फाजों से तो गूंगा था मैं,
पर वो मेरे इशारे समझ रहा था,
मैं खुद इस बात से हैरान हूँ आज,
की कल वो मुझको किस तरह पढ़ रहा था,
अब्बा तो छोड़ो यार अभी तो आ भी निकला नहीं था,
पर वो मेरी हर ख्वाहिश को पूरा कर रहा था,
और मैं भी अब उसके लाड़-प्यार में अब ढ़लने लगा था,
घर से अब वो कब निकल ना जाए,
बस उसके क़दमों पर नजरें रखने लगा था,
मुद्दें तो हजार थे बाजार में उसके पास,
और कब ढल जायेगा सूरज उसको इसका इंतजार था,
और मैं भी दरवाजे की चौखट को ताकता रहता था,
जब होती थी दस्तक तो वोकर से झांकता रहता था,
तब देखकर उसकी शक्ल में दूर से चिल्लाता था,
इशारों से उसको अपने करीब बुलाता था,
वह भी छोड़-छाड़ के सबकुछ,
मुझे अपने सीने से लगाता था,
वह करतब दिखाता था,
मेरी एक मुस्कान के लिए,
कभी हाथी तो कभी घोड़ा बन जाता था,
और सो संकू रात भर सुकून से,
इसलिए पूरी रात एक करवट से गुजारता था,
पर वो बचपन शायद अब सो चूका था,
और मैं जवानी की देहलीज पर कदम रखने लगा था,
उसकी क़ुरबानी को उसका फर्ज समझने लगा था,
चाहे वो फिर खुद बिना पंखें के सोना या मुझे हवा में सुलाना,
या फिर ईद का वो खुद पूराना कपडा पहनना,
और मुझे नए कपडे पहनाना,
या फिर तपते बुखार में माथे पर ठंडी पट्टी रखना हो,
या फिर मेरी हर जिद के आगे झुक जाना,
वो बचपन था वो गुजर गया,
वो रिश्ता था और वो सिकुड़ गया,
और मैं उस क़ुरबानी के बोझ को उठा नहीं पाया,
इसलिए मैं वो शहर कही दूर छोड़ आया,
नए शहर की हवा मुझे पे चढ़ने लगी थी,
अपने बाप की हर नसीहत मुझे बचपना लगने लगी थी,
काम जो मिल गया, पैसा जो आने लगा,
क्या जरूरत है बाप को ये सोच मुझे में पलने लगी थी,
और उधर मेरा बाप बैचेन था,
की कुछ रोज तो घर आजा beta,
बस यही था उसकी फरयाद में,
और मैं उससे हिसाब लेने लगा था,
जो दुनिया का कर्जदार बन चूका था,
क्या जरूरत है तुम्हें इतने पैसे की अब्बू,
अब ये सवाल करने लगा था,
अब घडी का कांटा फिर पलट चूका था,
कल तक मैं किसी का beta था,
आज किसी का बाप बन चूका था,
और हसरतों का स्वटर मैं भी बुनने लगा था,
कल क्या करेगा मेरा beta मैं भी यही सोचने लगा था,
दुनिया में ना उससे कोई आगे था,
ना कोई अपना था सब पराया था,
बस वही एक सपना था,
तब मुझ एक जज्बात उबलने लगा था,
जिस जज्बात से में हमेशा अनजान था,
की कल क्या गुजरी होगी मेरे baap पे,
अब मुझे ये समझ आने लगा था,
खुदा की एक मूरत होता है बाप,
जिसे लफ्जों में ना भुना जाए,
और जो कलमों से ना लिखा जाए वो होता है बाप,
जो रोते हुए को हंसा दें,
और खुद को मजदूर बनाकर,
तुम्हें खड़ा कर दे वो होता है बाप।

पिता क्या है? कविता

मेरा साहस मेरा सम्मान है पिता,
मेरी ताकत मेरी पुंजी मेरी पहचान है पिता,
घर की एक-एक ईट में शामिल उनका खून-पसीना,
सारे घर की रौनक उनसे सारे घर की शान पिता,
मेरी इज्जत मेरी मेरी शौहरत मेरा रूतबा मेरा मान है पिता,
मुझको हिम्मत देने वाले मेरा अभिमान है पिता,
सारे रिश्ते उनके दम से सारे नाते उनसे है,
सारे घर की दिल की धड्कन सारे घर की जान है पिता,
शायद रब ने दे कर भेजा फल ये अच्छे कर्मों का,
उसकी रहमत उसकी नेअमत उसका है वरदान पिता।

Poem on Father in Hindi

ऊँगली को पकड़ कर सिखलाता,
जब पहला कदम भी नहीं आता,
नन्हे प्यारे बच्चे के लिए,
पापा ही सहारा बन जाता,
पापा हर फर्ज निभाते है,
जीवन भर कर्ज चुकाते है,
बच्चे की एक ख़ुशी के लिए,
अपने सुख भूल ही जाते है,
फिर क्यों ऐसे पापा के लिए,
बच्चे कुछ कर नहीं पाते है,
ऐसे सच्चे पापा को क्यों,
पापा कहने में भी सकुचाते है,
पापा का आशीष बनाता है,
बच्चे का जीवन सुखदायी,
पर बच्चे भूल ही जाते है,
यह कैसी आंधी है आई,
जिससे सब कुछ पाया है,
जिसने सबकुछ सिखलाया है,
कोटि नमन ऐसे पापा को,
जिसने हर पल साथ निभाया है,
प्यारे पापा के प्यार भरे,
सीने से जो लग जाते है,
सच्च कहती हूँ विश्वास करो,
जीवन में सदा सुख पाते हैं।

Pita Par Kavita in Hindi

शाम हो गई अब तो घुमने चलो ना पापा,
चलते-चलते थक गई अब तो कन्धों पर बिठा लो ना पापा,
अँधेरे से डर लगता है सीने से लगा लो ना पापा,
मम्मा तो सो गई आप ही थपकी देकर सुलाओ ना पापा,
स्कूल तो पूरी हो गई,
अब कॉलेज जाने दो ना पापा,
पाल पोस कर बड़ा किया,
अब जुदा तो मत करो ना पापा,
अब डोली में बिठा ही दिया तो,
आँसू तो मत बहाओ ना पापा,
आप की मुस्कुराहट अच्छी है,
एक बार मुस्कुराओ ना पापा,
आप ने मेरी हर एक बात मानी,
एक बात और माँ जाओ ना पापा,
इस धरती पर बोझ नहीं मैं,
दुनिया को समझाओ ना पापा।

Baap Par Kavita

एक बचपन का ज़माना था,
जिस में खुशियों का खजाना था,
चाहत चाँद को पाने की थी,
पर दिल तितली का दीवाना था,
खबर ना थी कुछ सुबहा की,
ना शाम का कोई ठिकाना था,
थक कर आना स्कूल से,
पर खेलने भी जाना था,
माँ की कहानी थी,
परियों का फ़साना था,
बारिश में कागज की नाव थी,
हर मौसम सुहाना था,
रोने की कोई वजह ना थी,
और मैं अपने “पापा” का दीवाना था।

Heart Touching Father Day Poem in Hindi

खोल अब मनचाही ख़िताब के पन्ने,
पढ़ते-पढ़ते ही सोने लगा हूँ,
शायद लोग सही कहते है,
अब मैं बुढ़ा होने लगा हूँ,
पहले सी फुर्ती नहीं बदन में,
दो कदम चलने से थकने लगा हूँ,
गिनी हुई साँसे है बाकि,
एक-एक को खिंच के लेने लगा हूँ,
आँखों से काम हो गया दिखना,
कुछ ऊँचा भी अब सुनने लगा हूँ,
भूख नहीं लगती है अब उतनी,
जिन्दा रहने को बस दाने चुगने लगा हूँ,
पहले जिन बातों पर गुस्सा आता था,
अब उनको नजरअंदाज करने लगा हूँ,
बड़े-बड़े बच्चों के आगे,
अपने ही गुस्से से डरने लगा हूँ,
प्यार तो पहले भी करता था सबसे,
अब जाहिर भी करने लगा हूँ,
वक्त मिले न मिले कहने को,
इसलिए अब सब कुछ कहने लगा हूँ,
मन में जितने उद्धार भरे थे,
आँखों से खाली करने लगा हूँ,
फिर-फिर जो आँसू आते है,
उन्हें आँखों की खराबी कहने लगा हूँ,
शरीर साथ नहीं देता अब,
मनोबल से उसे ढ़ोने लगा हूँ,
पता नहीं लगने देता पर,
अंदर से तो दुर्बल होने लगा हूँ,
उम्र जो ढ़लने लगी है मेरी,
गलतियाँ अपनी गिनने लगा हूँ,
माफ़ी तो मांग नहीं सकता पर,
उन पर पछतावा करने लगा हूँ,
सब अपने अब मेरे पास रहें,
ऐसी कामना करने लगा हूँ,
वक्त मेरे पास जो कम है,
देख-देख के सबको जी भरने लगा हूँ,
जाना तो इक दिन है सबको पर,
बिस्तर पर पड़ने से डरने लगा हूँ,
चलते चलते चला जाऊं बस,
यही प्रार्थना करने लगा हूँ,
खोल अब मनचाही ख़िताब के पन्ने,
पढ़ते-पढ़ते ही सोने लगा हूँ,
शायद लोग सही कहते है,
अब मैं बुढ़ा होने लगा हूँ।

Father’s Day Sad Emotional Poem in Hindi

आज भी वो प्यारी मुस्कान याद आती है,
जो मेरी शरारतों से मेरे पापा के चेहरे पर खिल जाती थी,
अपने कन्धों पर बैठा के वो मुझे दुनिया की सैर कराते थे,
जहाँ भी जाते मेरे लिए ढेर सारे तोहफे लाते थे,
मेरे हर जन्मदिन पर वो मुझे साथ मंदिर ले जाते थे,
मेरे result का बखान पूरी दुनिया में कर जाते थे,
मेरे जिंदगी के सारे सपने उनकी आँखों में पल रहे थे,
मेरे लिए खुशियों का आशियाना वो हर पल बन रहे थे,
मेरे सपने उनके साथ चले गये मेरे पापा मुझे छोड़ गये,
अब आँखों में शरारतें नहीं बस आँसू ही दीखते हैं।

ये था पिता जी पर कविता संग्रह हिंदी में, हम आशा करते है की आपको पसंद आया होगा। अगर आपको कोई कविता पसंद आये जो पापा के प्रति आपकी भावनाओं के अनुकूल है तो उसे इस फादर डे 2024 पर अपने पिता के साथ साझा करें।

अगर आपको फादर डे पर शायरी या फादर्स डे कोट्स चाहिए तो आप निचे वाले आर्टिकल पर जा सकते हैं। इनमें आपको पिता पर बेहतरीन शायरी, कोट्स मिलेंगी।

यदि आपको Fathers Day Poems पसंद आये तो सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करें। धन्यवाद.

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About Jamshed Khan

मैं इस ब्लॉग का एडिटर हु और मुझे लिखने का बहुत शौक है। इस ब्लॉग पर मैं एजुकेशन और फेस्टिवल से रिलेटेड आर्टिकल लिखता हूँ।

Comments ( 1 )

  1. Divesh Biloniya

    Sir aap bahut aacha likhte hai

    Reply

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