Ratan Tata Birthday: रतन टाटा (Ratan Tata) का नाम दिग्गज उद्योगपतियों में से एक है। टाटा समूह को दुनिया के सबसे बड़े कॉरपोरेट घरानों में से एक बनाने में रतन टाटा की भूमिका महत्वपूर्ण है। उनके व्यक्तित्व का सबसे बड़ा आकर्षण उनकी सादगी है। उनके जन्मदिन के मौके पर आज आपको उनके बारे में कुछ रोचक बातें, तथ्य ( 10+ unknown & interesting facts ) के बारें में बताएंगे। रतन टाटा की सफलता और उपलब्धियां जगजाहिर हैं, लेकिन नीचे कुछ अज्ञात और रोचक तथ्य हैं जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे।
रतन टाटा ने 1961 में टाटा समूह के साथ अपने करियर की शुरुआत की और उनकी पहली नौकरी टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर संचालन का प्रबंधन करना था। टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा आज 84 साल के हो गए। एक सफल उद्योगपति, वह अपने परोपकार के लिए भी जाने जाते हैं जिसने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार और पहचान दिलाई है।
10+ Unknown and Interesting Facts about Ratan Tata
रतन टाटा को राष्ट्र निर्माण में उनके अतुलनीय योगदान के लिए भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार – पद्म विभूषण (2008) और पद्म भूषण (2000) भी मिले हैं। रतन टाटा की सफलता और उपलब्धियां तो जगजाहिर हैं, लेकिन नीचे हमने उनके कुछ अज्ञात और रोचक तथ्य सूचीबद्ध किए हैं जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे।
- रतन टाटा का जन्म 1937 में हुआ था और उनके पिता का नाम नवल टाटा था जिसे रतनजी टाटा ने गोद लिया था।
- रतन टाटा के माता-पिता 1948 में तब अलग हो गए थे जब वह सिर्फ 10 साल के थे।
- उनका पालन-पोषण उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया, जो रतनजी टाटा की पत्नी थीं।
- रतन टाटा एक कुशल पायलट हैं जिनके पास लाइसेंस है। 2007 में उन्होंने एफ-16 फाल्कन उड़ाया।
- रतन टाटा अविवाहित हैं लेकिन कथित तौर पर उन्होंने स्वीकार किया है कि वह चार बार शादी करने के करीब आए।
- रतन टाटा ने 1961 में टाटा समूह के साथ अपना करियर शुरू किया और उनकी पहली नौकरी टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर संचालन का प्रबंधन करना था। बाद में वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल चले गए। रतन टाटा कॉर्नेल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर के पूर्व छात्र भी हैं।
- टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को उनके कार्यकाल के दौरान 2004 में सार्वजनिक किया गया था। रतन टाटा के नेतृत्व में, समूह ने एंग्लो-डच स्टीलमेकर कोरस, ब्रिटिश ऑटोमोटिव कंपनी जगुआर लैंड रोवर और ब्रिटिश चाय फर्म टेटली का अधिग्रहण करने के बाद वैश्विक ध्यान आकर्षित किया।
- 2009 में रतन टाटा ने सबसे सस्ती कार बनाने का वादा किया था जिसे देश की मध्यम वर्ग की आबादी वहन कर सकती है। उन्होंने अपना वादा पूरा किया और टाटा नैनो को 1 लाख रुपये में लॉन्च किया।
- टाटा संस के मानद चेयरमैन भी अपने परोपकार के लिए जाने जाते हैं। उनके नेतृत्व में, टाटा एजुकेशन एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट, टाटा समूह के एक परोपकारी सहयोगी, ने कॉर्नेल विश्वविद्यालय को भारत से स्नातक छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की अनुमति देने के लिए $28 मिलियन का टाटा छात्रवृत्ति कोष प्रदान किया।
- 2010 में, टाटा समूह की कंपनियों और टाटा चैरिटी ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (HBS) में एक कार्यकारी केंद्र के निर्माण के लिए $50 मिलियन का दान दिया, जिसका नाम टाटा हॉल था।
- 2014 में, टाटा समूह ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे को 95 करोड़ रुपये का दान दिया और सीमित संसाधनों वाले लोगों और समुदायों की जरूरतों के अनुकूल डिजाइन और इंजीनियरिंग सिद्धांतों को विकसित करने के लिए टाटा सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एंड डिज़ाइन (टीसीटीडी) का गठन किया। इसे संस्थान को अपने इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा दान बताया जा रहा है।
आज (28 दिसंबर) इस महान शख्सियत का जन्मदिन है। रतन टाटा का जन्म आज ही के दिन 1937 में हुआ था। जेआरडी टाटा के बाद टाटा समूह की बागडोर संभालने से पहले रतन टाटा को जीवन में कई बुरे अनुभवों का सामना करना पड़ा था। उनके माता-पिता के तलाक का उन पर बहुत प्रभाव पड़ा। जब उनकी मां ने दोबारा शादी की तो उन्हें स्कूल में भी ताने का सामना करना पड़ा। कुछ समय पहले रतन टाटा ने इस बारे में अपना अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर किया था। उनका कहना है कि अपनी दादी से मिली सीख के चलते वह ऐसे हालातों को नजरअंदाज कर आगे बढ़ते थे।
रतन टाटा को कॉरपोरेट जगत में उलटे उपनिवेशवाद के लिए भी जाना जाता है। ईस्ट इंडिया कंपनी के चाय व्यवसाय की भारत की दासता के इतिहास में एक प्रमुख भूमिका है। रतन टाटा ने 2000 में ब्रिटेन के मशहूर चाय ब्रांड टेटली को खरीदा और इसे टाटा समूह का हिस्सा बनाया। यह चलन यहीं नहीं रुका, बल्कि 2007 में उन्होंने एंग्लो-डच कंपनी कोरस ग्रुप और 2008 में जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण कर लिया।